Osho On Samyak Meditation - ओशो - सम्यक ध्यान के बारे में दो तीन बातें समझ लेना जरूरी है
सम्यक ध्यान के बारे में दो तीन बातें समझ लेना जरूरी है
सबसे पहले : आपके घर में एक छोटा सा मंदिर या एक छोटा सा कोना या एक छोटा सा ध्यान कक्ष हो तो बहुत हीं उपयोगी होगा| फिर उस स्थान का किसी अन्य ‘परपस’ के किए उपयोग नहीं होना चाहिए| क्योंकि हर काम कि अपनी एक फ्रीक्वेंसी होती हैं| उस स्थान का उपयोग सिर्फ ध्यान के लिए हो तो बहुत अच्छा होगा| रोज- रोज उसी कक्ष में ध्यान करने से वह कक्ष एक फिक्स्ड एनर्जी से चार्ज हो जाएगा| जो अगले दिन आपको ध्यान करते वक्त आप पर बरसेगा और आपके ध्यान में सहयोगी होगा| इससे बड़ी सरलता से आप ध्यान में प्रवेश कर सकते हैं| पुराने जमाने में यहीं मंदिर का उपयोग था| इस पर हिंदुओं ने बडा काम किया था| यहीं कारण है कि हर हिंदू के घर में एक मंदिर होता है| लेकिन आज तो मात्र एक औपचरिकता वस, पूजा पाठ के लिए मंदिर होता है, वह ध्यान कक्ष के साइज या शेप में नहीं होता है|दूसरी बात ध्यान के लिए :
एक नियत समय आपको चुनना होगा जो आपके लिए सुविधाजनक हो| रोज-रोज आप ठीक उसी समय पर ध्यान करेंगे तो अधिक से अधिक आपको ध्यान का लाभ मिलेगा| क्योंकि हमारा शरीर और मन एक यंत्र है| जैसे अगर आप रोज एक नियत समय पर भोजन करते हैं तो आपका शरीर उस समय भोजन कि मांग करने लगता है| अगर आप रोज एक नियत समय पर सोने जाते हैं तो आपका शरीर उस समय सोने का इंतजार करता रहता है|
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